–सत्येन्द्र जैन
भारतीय लोकतंत्र में बहुदलीय व्यवस्था (मल्टी पार्टी सिस्टम) को स्वीकार किया गया है। स्वतंत्रता उपरांत प्रथम पचास वर्षो में कांग्रेस के विरुद्ध अन्य विपक्षी पार्टियां चुनाव लड़ती रहीं। वर्ष 1998 में स्वतंत्रता के 50 वर्ष के स्वर्ण काल उपरांत सर्वप्रथम भारतीय जनता पार्टी ने देश की राजनीति को दो ध्रुवीय (बाइपोलर ) राजनीति में परिणित किया।भाजपा ने कांग्रेस के विरुद्ध अपना गठबंधन तैयार किया। यह लोकतंत्र की बहुत बड़ी उपलब्धि सिद्ध हुई। भारतीय जन मानस को बहुदलीय व्यवस्था होने के उपरांत भी दो ध्रुवीय गठबन्धन में से किसी एक ध्रुव अथवा गठबन्धन को चुनने का सरल–सहज मार्ग प्रशस्त किया। भाजपा ने तेरह राजनीतिक दलों को एकत्रित कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अथवा नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) निर्मित किया।
समता पार्टी के जार्ज फर्नांडीज को संयोजक का दायित्व सौंपा गया था। इस गठबंधन ने छह वर्षों तक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार कुशलता पूर्वक संचालित की। वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव उपरांत कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए (यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलाइंस )गठबंधन की स्थापना की। सोनिया गांधी संयोजक चुनी गईं।दस वर्ष तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रहे। अब यूपीए ने अपना नाम परिवर्तित कर लिया है।आगामी वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत एनडीए को टक्कर देने के लिए यूपीए गठबंधन ने नया नाम I.N.D.I.A. (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलाइंस) दिया है। हिंदी में कहें तो भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन है। लेकिन आज जो छब्बीस दल इस INDIA गठबंधन में सम्मिलित हैं। उन्होंने भारतीयता को सर्वोपरि नहीं रखा है। यदि 10 वर्ष के डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल का समीचीन अध्ययन करते हैं,तो भारतीयता का अभाव ज्ञात होता है। गठबंधन के समस्त दलों पर बीस लाख करोड़ के घोटालों का अनुमान है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार से बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में लाल रंग की डायरी में उल्लेखित कांग्रेस नेताओं के भ्रष्ट्राचार पर चर्चा की मांग, विधानसभा अध्यक्ष ने ठुकरा दी। यह लाल डायरी कांग्रेस के काले कारनामों से भरी पड़ी है।क्या भ्रष्टाचार, इंडिया का पर्याय हो सकता है? यह तो अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी की भांति इंडिया की लूट का ही पर्याय हो सकता है ।
राहुल गांधी जेएनयू जाकर लोगों का समर्थन करते हैं जिन्होंने भारत तेरे टुकड़े होंगे, भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी –जंग रहेगी के नारे लगाए हैं। भारत की संसद पर आतंकवादी हमले के आरोपी अफजल के समर्थन में — अफजल हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं –जैंसे नारे लगाने वालों का राहुल गांधी समर्थन करते हैं। यह भारतीयता नहीं है। राहुल गांधी का यह प्रयास इंडिया को तोड़ने वाली टुकड़े–टुकड़े गैंग का समर्थन करना है। राहुल गांधी संसद में इंडिया को नहीं अंगीकार करते हैं। इंडिया इज नॉट इंडिया इट्स ए यूनियन ऑफ स्टेटस कहते हैं। भारत भारत नहीं है राज्यों का संघ है।किंतु यूपीए का नाम इंडिया रखते हैं। यह भारतीयता का नहीं अपितु स्वार्थपरता का द्योतक है। भारतीय जन मानस भली भांति जानता है। जबकि भारत का वर्णन हजारों वर्ष पहले से ही हमारे पुराणों में वर्णित है कि –
उत्तरं यत् समुद्रस्य,हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् ।
वर्षं तद् भारतं नाम ,भारती यत्र सन्ततिः ।
अर्थात समुद्र के उत्तर एवं हिमालय के दक्षिण में जो देश स्थित है उसे भारत एवं उसकी संतानों को भारती कहते हैं।
राहुल गांधी विदेश जाकर लंदन में साक्षात्कार देते हुए भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए अंग्रेजों से सहयोग की याचना करते हैं। यह इंडिया का द्योतक नहीं है। यह तो स्वदेश के अपमान को इंगित करता है। केरल में इंडिया गठबंधन की सहयोगी इंडियन मुस्लिम लीग के नेता और अनेक कार्यकर्ताओं ने UCC विरोधी रैली में हिंदुओं को मंदिर में लटका देंगे,जला देंगे के नारे लगाए हैं। यह इंडिया को कलंकित करने वाले है।यह गठबंधन मुस्लिम लीग जैसी पार्टियों को गले लगा रहा है। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने काग्रेस की महिला नेत्री को नग्न कर पिटाई कर अपमानित किया। पंचायत चुनाव में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं को मारा गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, बंगाल और सांसद अधीर रंजन चौधरी तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चोर कह रहे हैं।
इस गठबंधन में सम्मिलित पार्टियां एनसीपी ,समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन का नाम इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव एलायंस मान सोशल मीडिया द्वारा प्रसारित कर रही हैं। जबकि कांग्रेस इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस कहती है।इन सब विरोधाभासों के उपरांत यह गठबंधन भंगुरता और आभासी प्रतीत होता है। जिसमें भारतीयता का अभाव है।